हॉलमार्किंग का सिंहावलोकन


हॉलमार्किंग बहुमूल्य धातु की वस्तु में बहुमूल्य धातु की आनुपातिक सामग्री का सटीक निर्धारण और आधिकारिक रिकॉर्डिंग है । इसी तरह से हॉलमार्क बहुमूल्य धातु की वस्तुओं की महीनता या शुद्धता की गारंटी के रूप में कई देशों में आधिकारिक चिह्न के रूप में प्रयोग किया जाता है।हॉलमार्किंग योजना का मुख्य उद्देश्य मिलावट से जनता की रक्षा करना और महीनता के वैध मानकों को बनाए रखने के लिए निर्माताओं को बाध्य करना है। भारत में , वर्तमान में दो बहुमूल्य धातुएं नामत: सोने और चांदी को हॉलमार्किंग के दायरे में लाया गया है।

Hallmarking_gold

बीआईएस हॉलमार्किंग योजना,  हॉलमार्क पर अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के साथ संरेखित है। इस योजना के अनुसार, हॉलमार्किंग योजना के अंतर्गत बीआईएस द्वारा ज्वैलरों को पंजीकरण दिया जाता है। बीआईएस प्रमाणित ज्वैलरों बीआईएस से मान्यताप्राप्त किसी भी  एसेयिंग और हॉलमार्किंग केन्द्रों से अपनी हॉलमार्क लगी ज्वैलरी प्राप्त कर सकते है।एसेयिंग और हॉलमार्किंग केन्द्रोंको मान्यता आईएस 15820:2009 के अनुसार दी जाती है।

1982 में 65 टन की अनुमानित सोने की खपता थी, जोकि वर्तमान में बढ़कर 800 टन हो गई है।घरेलू मांग के लिए लगभग 80% आभूषण निर्माण (मुख्य रूप से 22 कैरेट शुद्धता) के लिए है, निवेशक मांग के लिए 15% और औद्योगिक उपयोग के लिए केवल 5%। तद्नुसारफिक्की अध्ययन के अनुसार, सोने के प्रसंस्करण उद्योग में लगभग 15000 प्लेयर हैं, जिनमें से 80 इकाइयां का राजस्व 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। भारत लगभग 4,50,000 सुनहारों, 100,000 सोने के, इसके साथ ही लगभग 6000 डायमंड-प्रोसेसिंग प्लेयर और 8000 डायमंडज्वैलरो का घर है ।

हॉलमार्किंग ज्वैलरी/शिल्पावस्तुओं पर इन चिह्नों को देखें

संपर्क करें

उपमहानिदेशक (हॉलमार्किंग)

कमरा सं. 555, मानकालय

भारतीय मानक ब्यूरो

9, बाहदुरशाह जफर मार्ग

नई दिल्ली – 110002

टेलीफोन : 011-23234223 एक्स 8368

ईमेल: Hallmarking@bis.org.in

Last Updated on फ़रवरी 9, 2022

Skip to contentBIS